भारत हिन्दूराष्ट्र बनेगा और अखंड भी होगा — शंकराचार्य निश्चलानंद

प्रभात उजाला नेटवर्क…………..

–7वें हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में संतों ने भरी हुंकार

प्रयागराज । पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती के माघ मेला शिविर में वसंत पंचमी की संध्या बेला में 7वां हिन्दूराष्ट्र अधिवेशन एवं 33 वां पट्टाभिषेक महोत्सव संपन्न हुआ। अधिवेशन में भारी संख्या में जुटे संतों ने एक स्वर में भारत को कन्याकुमारी से मानसरोवर तथा अटक से कटक तक अखंड हिन्दूराष्ट्र बनाने का संकल्प लिया। पुरी शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा भारत हिन्दूराष्ट्र बनेगा और अखंड भी होगा।
पुरी शंकराचार्य ने कहा हमारी अवधारणा है कि भारत के सभी मनुष्य सुसंस्कृत, सुशिक्षित, संरक्षित, संपन्न, सेवा पारायण, स्वस्थ्य, सर्वहितोपयोगी, हिंदुओं के अस्तित्वों की रक्षा एवं देश की सुरक्षा तथा अखंडता के लिए कटिबद्ध हो। शंकराचार्य ने कहा यहां सभी के पूर्वज हिंदू थे, लोग इस बात को मजहबी लोग स्वीकार भी कर रहे हैं, समय आने पर सभी लोग हिंदू धर्म को सहजता से स्वीकार कर लेंगे।

शंकराचार्य ने कहा सभी घरों से प्रतिदिन एक रुपया और एक घंटे का समय हिन्दूराष्ट्र हित के लिए निकालना होगा। उसी पैसे से लोगों को संगठित करने और उन्हें सुसंस्कृत और सुशिक्षित करने में खर्च करना होगा। जब लोग सुसंस्कृत और सुशिक्षित होंगे तो स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण भी करेंगे। शंकराचार्य ने धर्म और समाज के नाम पर तमाम संस्थाओं पर प्रहार करते हुए कहा सेवा और संघ के नाम पर बनने वाली संस्थाएं अपने उद्देश्यों में सफल नहीं हो पाएंगी। इस तरह की संस्थाएं राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं एवं धनपशुओं के हाथ की कठपुतली बनकर रह जाती हैं, किंतु जो संस्था अपने सिद्धांतों पर कार्य करती है, वही सफल होती है। शंकराचार्य ने कहा कि देश में विकास की ऐसी परिभाषा तय हो, जिससे विकास पर्यावरण और राजनीति तीनों का संतुलन बना रहे।

स्वामी निश्चलानंद ने विज्ञान, व्यवहार, दर्शन का सामंजस्य स्थापित करना जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सवर्ण, असवर्ण, आदिवासी, मूलनिवासी जैसे शब्दवाण छोड़े जा रहे। राजनेता अपना उल्लू सीधा करने में सामाजिकता और समरसता का पतन कर रहे हैं। आजकल के नेताओं को परख पाना मुश्किल है। वसंत पंचमी के ही दिन संयास धारण करने पर शंकराचार्य के निजी सचिव निर्विकल्पानंद ब्रह्मचारी का संतों ने माल्यार्पण किया।

कार्यक्रम का संचालन हृषिकेश ब्रह्मचारी ने किया। शंकराचार्य द्वारा स्थापित धर्म संघ पीठ परिषद से संबद्ध आदित्य वाहिनी के अंतरराष्ट्रीय कार्यवाह डॉ इंदिरा झा, अंतरराष्ट्रीय महामंत्री सुरेश सिंह, पीठ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अश्वनी मलिक, जनसंघ के अध्यक्ष भारत भूषण पांडेय, आनंद वाहिनी से सीमा मिश्रा, त्यागी महाराज, प्रफुल्ल ब्रह्मचारी, डॉ राजेश चैतन्य ब्रह्मचारी, आचार्य विवेक मिश्रा, सत्य तिवारी, किरन दूबे, मीडिया प्रभारी विवेक मिश्रा आदि उपस्थित रहे।

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