गौ संसद के मंच से राष्ट्रव्यापी आंदोलन का होगा सूत्रपात – जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरा नन्द – सरस्वती

प्रभात उजाला नेटवर्क……………..

गौ सेवकों की भूमिका और दायित्व को लेकर कल हो सकती है बड़ी घोषणा

प्रयागराज । मेला क्षेत्र के शंकराचार्य शिविर में शंकराचार्य महाराज नियत समय पर गौ सभा को संबोधित करने पधारे उन्होंने कहा कि 6 फरवरी को होने वाली को संसद की मंच से राष्ट्रव्यापी आंदोलन का होगा सूत्रपात। गाय की महत्ता बताने हेतु उन्होंने कहा कि सृष्टि की रचना की इच्छुक ब्रह्मा जी ने सबसे पहले गौ माता का सृजन किया था ताकि उनकी सृष्टि का पोषण हो सके। पोषण के अपने इसी गुण से गाय विश्व माता कहलायी । विश्व में सबका पालन पोषण करने वाली गौ माता को दुर्भाग्य से इस समय काटने और खाने का दुर्गुण विकसित हो गया है। यह कृत्य भारतीय कृतज्ञ संस्कृति पर कलंक ही है । पूर्व काल में राजा परीक्षित के सामने कलयुग के डंडे से गौ को मारना चाहा था , तब वे मृत्युदंड दे रहे थे और आज इस देश के राजा गाय को कटते और करुण पुकार करते हुए देखकर चुप्पी साधे हुए हैं। गिनती के लोग ही गौ माता की पीड़ा से पीड़ित और द्रवित हैं। अब समय आ गया है जब समस्त सनातन समाज को जागृत करना होगा।

जागृत के इस महायज्ञ में हर धार्मिक हिंदू की ओर से आहूति होनी चाहिए ऐसे में जो जहां है वहीं से गौ माता की करुण पुकार को सरकार के समक्ष प्रस्तुत करने में अपना योगदान करें । गौ व्यथा को दूर कर रहे उन्हें अभयदान दिलाने का सबसे सशक्त मार्ग यह है कि उसे राष्ट्र माता का दर्जा दिलाया जाए। गौ माता को राष्ट्र माता की प्रतिष्ठा प्रदान करने के लिए राष्ट्रव्यापी गौ प्रतिष्ठा आंदोलन आरंभ हुआ है। अब यह आवश्यक है कि हर सनातन धर्मी न सिर्फ गौ माता की महत्ता को समझे बल्कि उनसे भली बात परिचित भी हो भारतीय नस्ल की ऐसी सभी गए जिनका संकरीकरण नहीं किया गया है उन्हें राष्ट्र माता का आसन दिलाना है। सभा के बीच गोपालकों के सुझाव और गौ संसद से जुड़े प्रश्न व अन्य तैयारियां पर भी उन्होंने दिशा निर्देश दिए जिससे 6 फरवरी को होने वाली गौ संसद को राष्ट्र माता के रूप में प्रतिष्ठित करने में मिल का पत्थर साबित हो । 6 फरवरी को दोपहर 12:00 बजे से होने वाले को संसद में चतुर्थ पीठो के शंकराचार्यो अन्य पीठों के आचार्य महंतो , महामंडलेश्वरो और धर्माशदो के सानिध्य में रामा गौ पर कुछ विशेष घोषणा होना सुरक्षित है जिसकी गूंज पूरे विश्व भर में सुनाई दे।

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