शंकराचार्य शिविर से जगद्गुरुओं ने भरी हुंकारजो गौ माता का नहीं वो सनातनी हिन्दू नहीं

प्रभात उजाला नेटवर्क…………
गौ संसद से 21 बिन्दुओ का घोषणा पत्र जारी
17 फरवरी के बाद बड़े आन्दोलन की तैयारी

सभा मंच से देश भर के गौ सांसदों को दिलायी गयी गौ रक्षा और गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा दिलावाने का संकल्प

प्रयागराज । माघ मेले के सेक्टर 3 स्थित शंकराचार्य शिविर में मंगलवार को बहुप्रतीक्षित गौ संसद का आयोजन हुआ । संगम तट पर अपार जन समुद्र का दर्शन कोई नई बात नहीं है , किन्तु गौ के निमित्त धर्मध्वजा वाहक चतुष्पीठों के शंकराचार्यों का , श्री महन्तो ,महामण्डलेश्वरों का , साधु सन्त महात्मा और गृहस्थों का एक साथ , एक स्थान पर एकत्र होना सचमुच सनातन संस्कृति के उत्थान के उत्सव सरीखा रहा । एक तरफ मंच पर आसीन थे शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री सदानन्द सरस्वती जी महाराज , परमाराध्य उत्तरामनाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज , श्रृंगेरी मठ से शंकराचार्य प्रतिनिधि सुन्दरम जी , हर्षानन्दजी महाराज , गोपाल जी महाराज , कालिदास महाराज , सूर्याचार्य जी महाराज , गोबर गोपाल जी महाराज , अयोध्या से परमहंसाचार्य जी महाराज , गुजरात सेअवधूत रामायणी जी , हरियाणा से ब्रह्मानन्द जी एवं आचार्य योगेन्द्र जी महाराज , राजस्थान से निर्मलदास जी महाराज , मध्य प्रदेश से महेन्द्र भार्गव जी और जगदीशानन्द जी महाराज ,महामण्डलेश्वर बालेश्वर दास जी दिगम्बर अखाडा से , मानस मञ्जुल दास जी , महामण्डलेश्वर सहजानन्द जी समेत बड़ी संख्या में सन्त और महात्मा जिनकी ओजस्वी वाणी से गौ माता के लिए निकला हर शब्द भक्तों के लिये देव वाणी सरीखा था ।

तो वहीँ गोबर गोपाल और गोपालमणि जैसे गौसेवी सन्तो का जीवन दर्शन उपस्थित जनता जनार्दन के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए । कालू सिंह जी गौ संसद तेलंगाना से जैसे अन्य क्षेत्रों से पधारे गौ धर्म सांसदों की बातों ने अपने क्षेत्रों में किए जा रहे गौ रक्षणार्थ कार्यों से सभी का उत्साहवर्धन करते हुए क्षेत्र की कठिनाइयों से जीतने के मन्त्र भी बताए और सन्तो के साथ कदम से कदम मिला कर गौ आन्दोलन को दिशा देने का संकल्प भी लिया ।

मंच से शारदापीठाधीश्वर शंकराचार्य जी महाराज अपने वक्तव्य में कहा कि गौमाता के लिए की रचनाकर्ता ब्रह्माजी ने स्वयं सभी देवी देवताओं से विचार विमर्श कर माँ की प्रार्थना की तब जा कर गौ माता का इस लोक में आगमन हुआ । गौमाता किसी एक धर्म या सम्प्रदाय की वस्तु नहीं अपितु सम्पूर्ण जगत का समभाव से पालन पोषण करने वाली है जैसे की एक माँ अपने सभी शिशुओं के लिए करती है । अतः राजनीति और विद्वेष से परे उठ कर हमें एकजुट हो कर , सबको साथ ले कर अपना ध्येय साधना होगा तभी संकल्प सिद्ध होगा । गौ संसद के अन्त में ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द जी महाराज ने उपस्थित सन्त समाज और सनातन समुदाय के समक्ष गौ संसद का प्रस्ताव पत्र घोषित किया । उन्होंने कहा
यह गौसंसद इस गौ धर्मादेश द्वारा यह उद्घोषित करती है कि-
-हम जिस गौमाता को राष्ट्रमाता के रूप में प्रतिष्ठित कर अभय प्रदान करने के लिये संकल्पित हैं वह ‘ असंकरीकृत मूल भारतीय नस्ल की वेदलक्षणा गाय है ’ जिसे यह गौ संसद आज से ‘रामा’ कह कर संबोधित करेगी ।
-राष्ट्र का आद्यक्षर रा और माता का आद्यक्षर मा को मिलाने से रामा शब्द बना है ।

यह गौसंसद गौभक्तों के सहयोग से आज ही ‘ राष्ट्रीय रामा गौ भक्तायोग ’ की स्थापना करने की घोषणा करती है । यह भक्तायोग डीएनए जांच द्वारा देश में विद्यमान सभी रामा गौ की पहचान कर उनके पंजीकरण , सम्मान सहित संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ेगा । यह गौ संसद आगामी नवसंवत्सर को गौसंवत्सर घोषित करते हुए इसी संवत्सर में रामा गौ की प्रतिष्ठा का विशेष विधान प्रोटोकॉल सुनिश्चित करने का संकलप लेती है । यह गौ संसद विगत गोपाष्ठमी (20 नवम्बर 2023 ई.) को दिल्ली के रामलीला मैदान में परामाराध्य परमधर्माधीश ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी ‘1008’ द्वारा रामा गौ को राष्ट्रमाता के रूप में उद्घोषित करने का स्वागत करती है और उसे व्यवहार में लाने का सभी सम्बन्धितों से आग्रह करती है ।

यह गौ संसद देश की केन्द्रीय सरकार से मांग करती है कि बहुसंख्यकों की भावना और बहुसंख्यक प्रदेशों के पारित कानूनों के आलोक में गौमाता को भारत देश में राष्ट्रमाता का संवैधानिक सम्मान प्रदान करे ।
-जैसे गंगा नदी होकर भी नदी नहीं , जैसे गुरु मनुष्य होकर भी मनुष्य नहीं वैसे ही गाय पशु होकर भी भारतीय संस्कृति में पशु नहीं मानी जाती । अत: गौ संसद मांग करती है कि तत्काल कानूनी तौर पर गौमाता को पशु की श्रेणी से हटाकर माता का सम्मान दिया जाय तथा गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु गौमाता को पशु मंत्रालय से हटाकर अविलम्ब गौ मंत्रालय का अलग से गठन किया जाए ।
-गौ संसद मांग करती है कि गौमाता एवं गोवंश के विषय को संविधान में राज्य सूची से हटाकर केन्द्रीय सूची में डाला जाय ।
-गौसंसद यह भी उद्घोषित करती है कि जो भी हिन्दू गाय का मांस खाता हो , गाय की हत्या के व्यवसाय या कत्लखानों से जुड़ा हो , गौमांस के क्रय-विक्रय के कार्य में समाहित हो या उसकी तस्करी आदि से लाभ या व्यापार करता हो उसे हिन्दू धर्म से पूर्णत: बहिष्कृत किया जाय । ऐसे सभी लोगों को व्रात्य घोषित किया जाता है और नवसंवत्सर प्रारम्भ होने के पहले तक का समय /अवसर इन पापकृत्यों को छोड़कर प्रायश्चित द्वारा पवित्र हो जाने के लिए दिया जाता है । जब तक वे ऐसा नहीं करते हैं तब तक सभी हिन्दुओ अनुरोधात्मक धर्मादेश के द्वारा अनुरोध किया जाता है कि जब तक गोवध से विरत होकर ऐसे लोग प्राश्यचित न करें तब तक सर्वसाधारण हिन्दू जन न तो ऐसे लोगों के धार्मिक अनुष्ठान में जाय और न ही इनको अपने धार्मिक अनुष्ठानों में बुलाए । इनके साथ भोज-भात , वैवाहिक आदि सम्बन्ध न करें ।

ऐसे लोगों की सूची तैयार कर उनको इस गौ धर्मादेश से अवगत कराया जाएगा और आवश्यक होने पर सर्वसाधारण हिन्दुओं के सूचनार्थ उनकी सूची जारी की जाएगी ।
-दिए गए अवसर के बाद भी जो विरत न होंगे उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा कि वह 30 दिन के अन्दर बताएँ कि गोवध में संलिप्त होने के कारण उन्हें हिन्दू धर्म से क्यों न बहिष्कृत कर दिया जाय ? और उनके कारण बताने अथवा न बताने पर राष्ट्रीय रामा गौ सेवालय उनके स्थायी बहिष्कार का धर्मादेश जारी करेगा ।
-यह गौ संसद स्पष्ट करती है कि शास्त्रों के अनुसार गो हत्या महापाप है । गौ हत्यारे व्यक्ति या संस्थाओं का सहयोग और समर्थन करने वाला भी गौ हत्या के पाप का भागी होता है । सरकार बनाकर गौ हत्या करने वाले राजनीतिक दलों को वोट देना भी मतदाता को गोहत्या का पाप लगाता है अतः समस्त सनातनी हिन्दुओं को गौ धर्मादेश द्वारा आदेशित किया जाता है कि वह उन्हीं राजनीतिक दलों को वोट दें जिन्होंने शपथपत्र द्वारा स्पष्ट सार्वजनिक उद्‌घोष कर दिया हो कि सरकार बनते ही पहला निर्णय रामा गौ के सम्मान और अभयदान का करेंगे ।

यह गौ संसद उद्घोष करती है कि हम गौभक्त हिन्दू रामा गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलवाकर राष्ट्रमाता रामा का पवित्र दूध-अमृत लेकर अयोध्या जाएगे और रामलला विद्यमान को रामा दुग्धामृत का भोग लगाएगे ।
-यह गौ संसद सरकारों से अनुरोध करती है कि गौ चरान की भूमि देश भर में हजारों हेक्टेयर उपलब्ध है परन्तु गौ वंश की इस भूमि पर वैध-अवैध निर्माण के द्वारा कब्जा किया गया है जिससे गौ वंश निराश्रित सड़‌को पर आ गया है । अतः यह समस्त गौ चरान भूमि अविलम्ब मुक्त कराई जाए तथा उनमें गौ अभ्यारण्य बनाकर रामा गौमाता को पुनः सौंपा जाए ।
-गाय को सनातन धर्म में पशु नहीं माता की प्रतिष्ठा है । अत: यह गौ संसद इस धर्मादेश के द्वारा हिन्दू होने के लिए अनिवार्य नियम तय करती है कि – रामा गौ को माता मानना हिन्दू होने की एक अनिवार्य शर्त है ।


-गौ संसद ने अनुभव किया है कि प्रयाग के कल्पवास के नियम में गौ ग्रास का नियम है जिस कारण समस्त तीर्थ क्षेत्रों में कल्पवास के समय गौ माता के लिए गौ ग्रास हेतु हजारों क्विंटल रोटी ,अनाज एकत्रित होता है लेकिन इन तीर्थ क्षेत्रों में गायों के उपलब्ध न होने के कारण यह गौ ग्रास कचड़े में नष्ट होता है । इस हेतु गौ संसद मांग करती है कि आगामी कुम्भ में मेला क्षेत्र के सभी सेक्टरों में एक गौ धाम अवश्य स्थापित हो जहां गौ दर्शन , पूजन और सेवा का सुख हिन्दू जनता कर सके । यह सन्देश रहे कि रामा गाय हिन्दू जीवन का अभिन्न अंग है । साथ ही मेलास्थ समस्त हिन्दुओं कल्पवासियों से अनुरोध किया जाता है कि गौ ग्रास के रूप में अनाज या रोटी के स्थान पर धन जमा कर गौ प्रतिष्ठा के कार्यों एवं गौधामों , गौ सेवालयों में इस धन से गौ ग्रास का पुष्प लें ।

गौसंसद ने अनुभव किया है कि स और श के उच्चारण में पारंगत न होने के कारण गौशाला शब्द को बहुत से लोग प्रमादवश गौसाला बोल जाते हैं जो भावदूषण करता है अतः अनुरोध किया जाता है कि समस्त गौभक्त गौशाला शब्द के स्थान पर गौधाम अथवा गौसेवालय शब्द कर ही चयन करें तथा भारत की समस्त गौशालाएं , गौशाला शब्द का प्रयोग न करके इसके स्थान पर गौधाम अथवा गौसेवालय का प्रयोग करेंगे ।
-यह गौ संसद मांग करती है कि संस्कारवान् प्रबुद्ध भारत के निर्माण के लिए 12 वर्ष तक के बालक-बालिकाओं को विद्यालयों , गुरुकुल एवं आंगनबाड़ी आदि के माध्यम से मिड डे मील की तरह निःशुल्क वेदलक्षणा गाय (रामा गौ) का दूध उपलब्ध कराया जाय जिससे वह तेजस्वी , बलवान् एवं संस्कारित हों ।

गौ संसद मांग करती है कि कानून द्वारा विदेशी, जर्सी आदि संकरित गायों पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगे तथा अप्राकृतिक गर्भाधान पर पूर्ण रोक लगाकर भारतीय वेद लक्षण नंदियों का ही प्रयोग किया जाए ।
-यह गौ संसद केन्द्र सरकार से मांग करती है कि रामा गौ की हत्या करने वाले को मृत्युदण्ड की की सजा का अविलम्ब कानून बनाए ।
-यह गौ संसद चारों पूज्य शंकराचार्यों सहित प्रतिष्ठित अन्य आचार्यों , महामण्डलेश्वरों , महन्थों और सन्तों-विद्वानों का उनके गौमाता राष्ट्रमाता प्रतिष्ठा आन्दोलन के लिए दिए जा रहे आशीर्वाद , सहयोग और समर्थन के लिए आभार जताते हुए निरन्तर इसकी प्राप्ति का विश्वास रखती है ।
अन्त में हर हर महादेव के जयघोष के साथ गौ संसद का समापन किया गया ।

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